[Women Health]
महिलाएं समाज का एक अभिन्न अंग है इसलिए महिलाओं की चिंता सभी को होनी चाहिए पर अक्सर देखा गया है कि घर और काम की जिम्मेदारियों के बीच महिलाएं अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती हैं जबकि पुरुषों की तुलना महिलाओं की स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां काफी जटिल होती हैं।
महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की बात करें तो पुरुषों की तुलना में यह काफी भिन्न है।
इसकी वजह महिलाओं और पुरुष के शरीर में पाई जाने वाली जैविक और लिंग संबंधी विभिन्नताए हैं।
इसी के आधार पर हम महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को कहीं तरह से समझ सकते हैं
पीरियड्स मिस होना किसी भी महिला के लिए चिंता की बात हो सकती है लेकिन प्रेगनेंसी के अलावा भी पीरियड मिस होने के कई कारण हो सकते हैं
महिलाओं में पीरियड से जुड़ी यदि कोई छोटी मोटी परेशानी है तो यह एक साधारण सी बात है इसकी वजह Hormonal imbalance या लाइफ स्टाइल हो सकता है।
वैसे तो एक सामान्य मासिक साइकिल 28 दिन की होती है।
किसी किसी में यह साइकिल 25 दिन तो किसी में 29 दिन की भी हो सकती है लेकिन यदि सही साइकिल इससे ज्यादा दिन या कम दिनों की हो या माहवारी रुक रुक कर होती हो।
तब डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
महिलाओं की मासिक से जुड़ी समस्या जिसमें लगातार तीन या अधिक माह को माहवारी नहीं होती है, एमेनोरिया कहा जाता है।
इसकी वजह से उनकी हड्डियों पर काफी प्रभाव पड़ता है।
हालांकि एक या दो बार पीरियड्स मिस होना सामान्य है जो चिंता का विषय भी नहीं है लेकिन अगर कुछ महीनों से ज्यादा आपके पीरियड्स मिस हो रहे हैं तो यह चिंता का विषय है।
माहवारी के देर से आने के अन्य कारण भी हो सकते हैं।
● बर्थ कंट्रोल दवाईया।
जब महिलाएं जन्म निरोधक गोलियों का सेवन करती है। तो उन्हें इन पिल्स के दुष्प्रभाव को भी झेलना पड़ता है।गर्भनिरोधक गोलियों की वजह से पीरियड्स मिसिंग की समस्या आम है और कभी-कभी ज्यादा महीनों तक भी महावारी ना आने की समस्या हो सकती हैं।
● तनाव की स्थिति।
टेंशन यानी कि तनाव इसकी वजह से ना सिर्फ आपके वजन पर असर पड़ता है बल्कि इससे हार्मोन भी काफी प्रभावित होते हैं।
तनाव की वजह से मासिक की साइकिल भी बहुत प्रभावित होती है।
हद से ज्यादा व्यायाम, तनाव या चिंता से वसा की कमी और इस वजह से इस हार्मोन की कमी होने लगती है। जिस वजह से पीरियड की अवधि पर भी असर पड़ता है।
● हार्मोनल परेशानी।
महिलाओं में प्रीमेच्योर ओवेरियन फैलियर या फिर पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम दोनों ही ऐसी कंडीशन होती है। जिससे हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे अंडा बनने की क्रिया पर भी असर पड़ता है और पीरियड्स रुक जाते हैं।
● दवाओं का साइड इफेक्ट।
हद से ज्यादा दवाओं का सेवन भी आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इसके सेवन से प्रोस्टाग्लैंडइन नामक रसायन काफी कम हो जाता है। जो कि महिलाओं के गर्भाशय को ट्रिगर करने में सहायक है ताकि हर महीने महावारी प्रक्रिया हो सके।
जिसके परिणाम स्वरूप पीरियड्स मिस होने लगते हैं।
● मेनोपॉज।
ज्यादातर मेनोपॉज की वजह से भी मासिक काफी दिनों के लिए रुक जाते हैं। अगर किसी महिला की उम्र 45 से 55 साल के बीच की है और आपके मासिक साल भर से रुके हैं तो यह मेनोपॉज की वजह से होता है।
अगर आपके लगातार तीन महीने से ज्यादा पीरियड मिस हो गए हैं और आपको इसके कारणों के बारे में पता भी नहीं है तो आप डॉक्टर से संपर्क करें।
यह पीसीओएस जैसे Health problems की वजह से हो सकता है।
पीसीओएस से हड्डियों को काफी नुकसान पहुंचता है और ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है।
महिलाओं में माहवारी की समस्या तब परेशानी का कारण बनती है। जब इसमें लंबे समय के लिए रुकावट आ जाएं।
अगर सही समय में इसका इलाज ना करवाया जाए तो ये किसी भी बड़े खतरे का शिकार बन सकती हैं।
क्योंकि महिलाओं में पीरियड से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती है।
लेकिन अगर 3 महीने से ज्यादा पीरियड रुकने की समस्या हो रही है तो यह वाकई चिंता का विषय है।
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