स्तन कैंसर एक ऐसी स्थिति है जब कुछ जीनों में परिवर्तन के कारण स्तन कोशिकाएं विभाजित होने लगती हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने और फैलने लगती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर क्या ?
स्तन कैंसर महिलाओं को होने वाला सबसे कॉमन कैंसर है। स्तन कैंसर एक ऐसी स्थिति है जब कुछ जीनों में परिवर्तन के कारण स्तन कोशिकाएं विभाजित होती हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने और फैलने लगती हैं। आम तौर पर, स्तन के दूध उत्पादक ग्रंथियों (लोब्यूल) या पथ (नलिकाओं) में कैंसर बनता है, जो ग्रंथियों से निप्पल तक दूध पहुंचाता है। फैटी या स्तन के रेशेदार संयोजी ऊतक कैंसर कोशिकाओं के लिए हॉटस्पॉट भी हो सकते हैं।कुछ मामलों में कैंसर कोशिकाएं आपकी बाहों के नीचे लिम्फ नोड्स तक पहुंच सकती हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल सकती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार
स्तन कैंसर के विभिन्न प्रकार और चरण होते हैं। इसके अलावा, यह पुरुषों को भी प्रभावित कर सकता है, हालांकि ऐसे बहुत कम केस होते हैं।
मोटे तौर पर स्तन कैंसर के दो प्रकार होते हैं: इन्वेसिव (तेजी से फैलने वाला) और नॉन-इन्वेसिव (धीरे धीरे फैलने वाला)। 80% ब्रेस्ट कैंसर इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा के कारण होता है। ब्रेस्ट कैंसर के इस प्रकार में कैंसर डक्ट वॉल के जरिए ब्रेस्ट की चर्बी तक पहुंचती हैं।
जबकि नॉन-इन्वेसिव में ब्रेस्ट कैंसर की सेल्स टिश्यू की उत्पत्ति से आगे नहीं बढ़ती हैं। इनके अलावा ब्रेस्ट कैंसर के दो अन्य प्रकार भी हैं, हालांकि ये बहुत दुर्लभ हैं। जैसे कि इन्फ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या हैं?
शुरुआत में ब्रेस्ट कैंसर एसिम्पटोमेटिक यानि कि लक्षणहीन हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार पर भी निर्भर करते हैं। हालांकि इस कैंसर का सबसे आम संकेत गांठ होता है। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि हर गांठ का मतलब कैंसर नहीं होता है।
1. स्तन में कठोर 'गांठ' महसूस होना। आमतौर पर ये गांठ दर्द रहित होती हैं।
2. निप्पल से गंदे खून जैसा तरल पदार्थ निकलना
3. स्तन के आकार में परिवर्तन होना
4. अंडरआर्म में गांठ या सूजन आना
5. निप्पल का लाल होना, आदि।
हालांकि, ये लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के अलावा किसी और बीमारी के भी हो सकते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर की कितनी स्टेज होती हैं?
स्टेज 0- इस स्टेज में कैंसर सेल्स ब्रेस्ट के डक्ट के बाहर नहीं फैलती हैं। यहां तक कि स्तन के बाकी हिस्सों में भी नहीं पहुंचती हैं।
स्टेज 1- इस स्टेज में ट्यूमर 2 सेंटीमीटर से अधिक चौड़ा नहीं होता है और लिम्फ नोड्स भी प्रभावित नहीं होते हैं। लेकिन कैंसर सेल्स साइज में बढ़ना शुरू कर देती हैं जो स्वस्थ सेल्स को प्रभावित करने लगती हैं।
स्टेज 2- इस स्टेज में ब्रेस्ट कैंसर अपने साइज से बढ़कर अन्य हिस्सों तक फैलना शुरू कर देता है। इस स्टेज में ऐसा भी हो सकता है कि यह बढ़कर अन्य हिस्सों तक फैल चुका हो
स्टेज 3- ब्रेस्ट कैंसर की यह स्टेज सीरियस हो जाती है। इस स्टेज में कैंसर हड्डियों या अन्य अंगो तक फैलना शुरू कर देता है। इसके अलावा बाहों के नीचे 9 से 10 लिंफ नोड में और कॉलर बोन में इसका छोटा हिस्सा भी फैल सकता है। स्टेज 4- इस स्टेज में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है और कैंसर कोशिकाएं शरीर के किसी भी हिस्से जैसे कि लिवर, हड्डी, गुर्दे और दिमाग तक फैल सकती है।
ब्रेस्ट कैंसर की जांच कैसे होती है?
• मैमोग्राम: यह एक इमेजिंग टेस्ट है। 40 से ऊपर की महिलाओं को स्तन कैंसर की आनुवांशिक प्रवृत्ति होने पर मैमोग्राम कराने की सिफारिश की जा सकती है। •अल्ट्रासाउंड: इस इमेजिंग परीक्षण से आपके डॉक्टर को यह समझने में काफी आसानी मिलती है कि ब्रेस्ट में कैंसर है या नहीं।
•बायोप्सी: यदि कोई मैमोग्राम या अल्ट्रासाउंड स्तन कैंसर को नियंत्रित नहीं करता है तो आपका डॉक्टर बायोप्सी का सुझाव दे सकता है। इस परीक्षण में, संदिग्ध क्षेत्र से ऊतक के नमूनों को स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। इन नमूनों को सुई के साथ या चीरा के माध्यम से एकत्र किया जा सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम क्या हैं?
आयु: स्तन कैंसर के अधिकांश मामले 55 से ऊपर की महिलाओं में देखे जाते हैं।
लिंग: अधिकतर ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं को होता है। हालांकि यह पुरुषों को भी हो सकता है लेकिन पुरुषों में स्तन कैंसर दुर्लभ है। महिलाओं में इस कैंसर की मामले बहुत अधिक है।
आनुवंशिक प्रवृत्ति: BRCA1 और BRCA2 नामक जीन में उत्परिवर्तन से आपको स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
मासिक धर्म की जल्दी शुरुआत: जिन महिलाओं को 12 साल की उम्र से पहले पीरियड्स शुरू हो जाते हैं उनमें स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
अधिक उम्र में मां बनना: 35 साल की उम्र के बाद अपने पहले बच्चे को जन्म देना भी स्तन कैंसर के लिए एक जोखिम कारक हो सकता है।
हार्मोन थेरेपी: रजोनिवृत्ति के बाद ली जाने वाली एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन दवाएं भी स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
देर से रजोनिवृत्ति होना: 55 वर्ष की आयु के रजोनिवृत्ति होना भी स्तन कैंसर का खतरा पैदा कर सकता है।
इनके अलावा, अन्य कारक भी हैं जो ब्रेस्ट कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। जैसे कि पारिवारिक इतिहास, खराब लाइफस्टाइल, असंतुलित डाइट और अत्यधिक शराब का सेवन आदि।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव क्या है?
1. वजन को कंट्रोल कर ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है। 30-35 साल की उम्र की महिलाओं को अपने वजन को संतुलित रखना चाहिए।
2. अधिक शराब या स्मोकिंग का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ता है। इसलिए इनसे परहेज रखें। यदि आप शराब पीने की आदि हैं तो अपनी इस आदत को धीरे धीरे कंट्रोल करना शुरू करें।
3. नियमित एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टीविटी कर भी ब्रेस्ट कैंसर को कंट्रोल किया जा सकता है। कोशिश करें कि दिन में एक समय, यानि कि सुबह या शाम एक्सरसाइज जरूर करें।
4. अपने लाइफस्टाइल में योग और मेडिटेशन को प्राथमिकता दें।योग और मेडिटेशन करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।
5. अपनी डाइट को भी संतुलित रखें। अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियों को शामिल करें। खुद को हाइड्रेट रखने के लिए रोज 8 से 10 ग्लास पानी पीएं।
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