मलेरिया रोग एनाफिलीज मादा मच्छर के काटने से होता है। इस प्रजाति के मच्छर बारिश के मौसम में अधिक होते है। क्यूंकि बारिश का पानी अधिक दिनों तक जमा होने की वजह से दूषित हो जाता है और यही इसी प्रजाति के मच्छर की उत्पत्ति होती है। मलेरिया के मच्छर के काटने की वजह से व्यक्ति को बुखार और सिर दर्द आना शुरू हो जाता है। कभी कभी यह बुखार कम हो जाता है तो दुबारा आ जाता है। एनाफिलीज मादा मच्छर के काटने की वजह से इसका डंक का जीवाणु रोगी के रक्त में प्रवेश करके कोशिकाओं को प्रभावित करता है।
•मलेरिया से बचने के उपाय ।
1 मलेरिया के मच्छर अधिकतर शाम या रात को काटते है इसलिए इस समय संभव हो तो घर में ही रहे।
2 मलेरिया से बचने के लिए उन कपड़ों का उपयोग करे जो शरीर के अधिकांश हिस्से को ढक सके।
3 घर के आस पास बारिश के पानी या गंदे पानी को जमा ना होने दे। क्यूंकि इसमें मलेरिया के जीवाणु पैदा होने का खतरा रहता है।
4 यदि किसी व्यक्ति के शरीर में बुखार तेजी से बढ़ रहा है तो उसे किसी डॉक्टर की सलाह व जांच करवानी चाहिए।
5 मलेरिया रोग की संभावना को कम करने के लिए एंटिमलेरियल दवा लेनी चाहिए।
• मलेरिया का निदान।
1 मलेरिया रोगी के शरीर से ब्लड का सैंपल लिया जाता है और इसी सैंपल से ब्लड स्मियर तैयार किया जाता है।
2 ब्लड स्मियर में मलेरिया परीजिवी की अनुपस्थिति के कारण यदि डॉक्टर को शंका है तो वह अगले 36 घंटो तक 8 से 12 घंटे में दुबारा परीक्षण करना चाहिए।
3 मलेरिया परजीवी की संख्या रक्त में कम या ज्यादा हो रही है तो इसकी जांच डॉक्टर द्वारा की जाती है।
4 आनुवंशिक और रक्त परीक्षण विशेष तरह के दाग का उपयोग करके परजीवी की उपस्थिति को दर्शाते है।
• मलेरिया का इलाज।
1 मलेरिया के इलाज के लिए अनेक प्रकार की दवाईयां उपलब्ध है लेकिन यह सभी दवाएं रोग की गंभीरता पर निर्भर करती है। जैसे एंटीमलेरियल ड्रग्स, लक्षणों व बुखार को ठीक करने के लिए दवाएं, एंटिसिजिर दवाएं और इलेक्ट्रोलइट्स शामिल है।
2 मलेरिया में सबसे गंभीर लक्षण फाल्सीपेरम से ग्रस्त रोगी के होते है। क्यूंकि इसकी वजह से किडनी का फेल होना, सांस लेने में दिक्कत और कोमा जैसे बीमारी हो सकती है। इस रोग का इलाज करने के लिए मरीज को कुछ दिन आइसीयू में भर्ती भी होना पड़ता है।
3 मलेरिया के लिए क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त माना जाता है।
• मलेरिया रोग से होने वाले नुकसान ।
1. सेरेब्रल मलेरिया: यह कोमा का कारण भी हो सकता है क्यूंकि जब रक्त कोशिकाओं में परजीवी भरी हुई रहती है तो वह रोगी के मस्तिष्क में छोटी रक्त वाहिकाओं को ब्लॉक कर देती है जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन आना व मस्तिष्क के हिस्सों में क्षति होने का खतरा रहता है।
2. सांस लेने में दिक्कत आना:- सांस लेने की समस्या फेफड़ों में संचित द्रव के कारण होती है।
3. शरीर के अंग का विफल होना:- मलेरिया की वजह से रोगी के गुर्दे, जिगर व स्प्लीन अंग विफल हो सकते है। यह स्तिथि जानलेवा साबित हो सकती है।
4. एनीमिया होना: लाल रक्त की कोशिकाओं को मलेरिया नुकसान पहुंचाता है जिसकी वजह से गंभीर एनीमिया होने का खतरा बना रहता है।
5. रक्त शर्करा का कम होना: मलेरिया रोग में रक्त शर्करा कम हो सकता है और कम रक्त शर्करा की वजह से रोगी कोमा में जा सकता है या मृत्यु भी हो सकती है।
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