दरअसल ब्लैक फंगस इंफेक्शन से जुड़ी बीमारी है यह बीमारी एक तरह के फंगस या फफूंद से फैलती है इस फंगस के स्पोर्ट्स या बीजाणु वातावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं आमतौर पर इन से कोई खतरा नहीं लेकिन अगर शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो तो यह जानलेवा साबित हो जाते हैं।
शुगर के मरीज इस बीमारी के ज्यादा से ज्यादा शिकार हो रहे हैं इस रोग में आँख की नसों के पास फंगस जमा हो जाता है जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है इसकी वजह से आंखों की रोशनी चली जाती है।
कोरोनावायरस या कोरोना से स्वस्थ हुए कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखा गया है यह इन्फेक्शन आमतौर पर उन लोगों में पाया गया है जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है।
ब्लैक फंगस एक बेहद खतरनाक इंफेक्शन है जो अब तक बेहद कम लोगों को होता था लेकिन पिछले कुछ दिनों में इसने कोविड-19 के मरीजों को तेजी से शिकार बनाया है। कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है देश के कई हिस्सों में इसके चलते कई लोगों की मौत हो चुकी हैं और सिर्फ महाराष्ट्र में इसके चलते करीब 90 लोगों की मौत हो चुकी है ब्लैक फंगस ( म्यूकरमाइकोसिस) एक ऐसा खतरनाक इंफेक्शन है जो अब तक बहुत ही कम लोगों को होता रहा है लाखों में किसी एक को यह संक्रमण होता था लेकिन पिछले कुछ दिनों के दौरान कोरोना से संक्रमित मरीजों में यह इंफेक्शन बड़ी तेजी से फैल रहा है।यह इतना खतरनाक संक्रमण है कि इसके शिकार करीब आधे लोगों की जान चली जाती हैं कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिन्हें मरीजों को बचाने के लिए उनकी आंखें तक निकालनी पड़ी है।
ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले डायबिटिक लोगों में आ रहे हैं ऐसे में इन्हें सबसे अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है और नियमित तौर पर अपना शुगर लेवल चेक करते रहना है।
• इन मरीजों को है सबसे अधिक खतरा।
• डायबिटीज के मरीज में,कैंसर का इलाज करा रहे मरीज।
• अधिक मात्रा में स्टेरॉयड लेने वाले मरीज
ऐसे मरीज जो ऑक्सीजन मास्क या वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
• ऐसे मरीज जिन की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम है।
• ऐसे मरीज जिनके किसी ऑर्गन का ट्रांसप्लांट हुआ हो।
• लक्षण
• नाक बंद होना या नाक से खून या काला तरल निकलना।
• नाक की हड्डियों में दर्द होना।
• एक तरफ चेहरे में दर्द, सूजन या सुन होना, ऊपरी सतह का काला होना।
• दांत ढीले होना।
• आंखों में दर्द होना,धुंधला दिखना या दोहरा दिखना।
• आंखों के आसपास सूजन होना।
• नेक्रोटीक घाव, सीने में दर्द या सांस लेने में दिक्कत होना।
• इन कारणों से बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मामले।
कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल हो रहा है जिससे शुगर का लेवल बढ़ रहा है शुगर लेवल बढ़ने और फिजिकल एक्टिविटी ना होने पर ब्लैक फंगस के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती हैं।
स्टेरॉयड के इस्तेमाल से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती हैं जिससे ब्लैक फंगस के विरुद्ध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता तंत्र प्रभावी तरीके से काम नहीं कर पाता है।
डायबिटीज के अलावा हाइजीन और दूषित इक्विपमेंट के चलते भी ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं डॉक्टर का कहना है कि कोरोना के मरीज इतने अधिक आ रहे हैं कि अस्पताल में सफाई पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा है इसके चलते इक्विपमेंट पर फंगस जमा होने की आशंका बढ़ती है।
• सावधानी
डायबिटीज मरीजों में ब्लैक फंगस का शुरुआती दौर में ही पता लगना बहुत जरूरी है डायबिटीज लोगों को ज्यादा स्ट्रांग दवाई देने से उनकी किडनी या अन्य अंगों पर बुरा असर पड़ता है जिन कोरोना मरीजो को ब्लैक फंगस हो रहा है उन्हें ट्रीटमेंट के समय और रिकवरी के बाद स्टेरॉयड की डोज बेहद सावधानी से दी जानी चाहिए।
• ब्लैक फंगस का इलाज तीन चरणों में किया जाना चाहिए पहले चरण में सिर्फ संक्रमण की वजह का पता लगाकर उसे दूर करना चाहिए और शुगर लेवल व एसिडोसिस चेक करना चाहिए इसके बाद सर्जरी के जरिए एग्रेसिव तरीके से डेड टिश्यू हटाना चाहिए ताकि फंगस को अधिक फैलने से रोका जा सके इसके बाद उचित दवाइयां दी जानी चाहिए।
" आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा और इससे जुड़े कोई भी सवाल का जवाब जानने के लिए हमे कमेंट्स करे "
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Thank you