दही के बिना खाना अधूरा लगता है? दिन की शुरुआत एक गिलास छाछ से करते हैं? अगर हां तो खुश हो जाइए ।
द न्यू इंग्लैंड जर्नल में छपे एक शोध में दही को न सिर्फ वजन घटाने बल्कि, टाइप टू डायबिटीज और हृदय रोगों से बचाव में भी कारगर करार दिया गया है ।
यह अध्ययन भी 20 साल से अधिक उम्र की 1,20,877 महिलाओं पर आधारित हैं हाजमा दुरुस्त रखने और त्वचा ,बालों की चमक बढ़ाने में दही की भूमिका से तो शायद ही कोई अंजान होगा।
दूध से दही बनने की प्रक्रिया
दही दूध में बैक्टीरियल फर्मेंटेशन की प्रक्रिया से तैयार होती है। इसके तहत मानव सेहत के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया दूध में मौजूद लेक्टोस नाम की शक्कर को लैक्टिक एसिड में तब्दील करते हैं ।लैक्टिक एसिड दूध को गाढ़ा करने, जमाने और खट्टापन देने के लिए जिम्मेदार होता है।
बीमारियों से बचाव
- हड्डियों और मांसपेशियों में क्षरण का खतरा घटाकर ऑस्टियोपोरोसिस से बचाती है दही ।
- डायरिया के लक्षणों से राहत दिलाने के साथ ही लीवर और आंत की बीमारी से सुरक्षा करने में मददगार ।
- गुड बैक्टीरिया (प्रोबायोटिक) की मौजूदगी मोटापा और टाइप टू डायबिटीज से दूर रखती हैं।
- विटामिन B12 ,विटामिन के और राइबोफ्लेविन सोखने की शरीर की क्षमता बढ़ाती है।
चीनी से परहेज करें
सादी दही खाना सबसे बेहतर पर है पर चीनी से परहेज करें ।
डिब्बाबंद दही ना खाएं कंपनियां इन्हें गाढा,मलाईदार बनाने के लिये हानिकारक जिलेटिन मिलाती हैं ।
जोड़ों में दर्द बढ़ाती है
गटियां ,अस्थमा जैसे हड्डी स्वास्थ रोगों से पीड़ित है तो दही से दूर रहें ।
सर्दी जुखाम में रात में दही ना खाएं
दही में उपलब्ध लैक्टोबैसिलस ,पेप्टोस्ट्रैप्टॉकोक्कस , बाईफिडोबैक्टीरियम, क्लॉस्ट्रीडियम जैसे ' गुड बैक्टीरिया ' ना सिर्फ बड़ी आंत के कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में तेजी से फलते-फूलते हैं, बल्कि बैड बैक्टीरिया को पनपने और आंत की बाहरी परत को नुकसान पहुंचाने से भी रोकते हैं ।
आंत की बाहरी परत बैक्टीरिया रोधी प्रोटीन का निर्माण कर रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करने के लिए अहम मानी जाती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Thank you